स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व.हरीदत्त कांडपाल के पैतृक गॉंव के मार्ग को संवेदनशील नहीं लोकनिर्माण विभाग

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अल्मोड़ा। अगस्त क्रांति के अवसर पर जहां केन्द्र व राज्य सरकार अनेक कार्यक्रमों का आयोजन विभिन्न स्थानों पर करके स्वंतत्रता संग्राम सेनानियों के प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट कर रही है वहीं एक विरोधाभासी प्रसंग इसी संदर्भ में उत्तराखंड के महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी उत्तर प्रदेश विधान सभा के चार बार विधायक व तत्कालीन सुचेता कृपलानी सरकार के सदस्य स्व.हरीदत्त कांडपाल जी के गांव का आया है। स्वर्गीय हरीदत्त कांडपाल जी के पैतृक गांव कांडे (जिला अल्मोड़ा)में पिछले दो दशकों से सड़क मार्ग का मुद्दा अटका हुआ है। 

2004 में सूबे के मुखिया एन.डी तिवारी ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वर्गीय हरीदत्त कांडपाल जी के नाम से सिमलगांव- सुरईखेत वाया ग्राम कांडे(जिला अल्मोड़ा) लिंक रोड स्वीकृत की थी किंतु लोक निर्माण विभाग ने स्वतन्त्रता सेनानी के घर के पीछे के कच्चे पहाड़ के ऊपर सर्वे के पश्चात पंक्तियोजन  कर सड़क निर्माण हेतु निविदाएं भी आमंत्रित कर कटान कार्य शुरु किया जाना प्रस्तावित है। सेनानी के परिजनों का कहना है कि उन्होंने समय समय पर जनप्रतिनिधियों,  क्षेत्रीय विधायक,लोक निर्माण विभाग, मुख्यमंत्री उत्तराखंड  व प्रधानमंत्री को भी पत्र लिखकर सूचित  किया है। साथ ही साथ यदि इस पुरातात्विक महत्व के पहाड़ ‘मुन्या ढाई’ जो प्रागैतिहासिक शैल चित्रों व कप मार्क्स  का ऐतिहासिक पहाड़ है, जिसका उल्लेख पद्मश्री एवं प्रसिद्ध पुरातत्ववेत्ता श्री यशोधर मठपाल जी की पुस्तक ‘द रॉक आर्ट ऑफ कुमाऊँ हिमालयाज’में वर्णित है, उस पर सड़क मार्ग बनने से उस ऐतिहासिक धरोहर के नष्ट होने की प्रबल संभावना भी है। इस सड़क मार्ग के बनने से पहाड़ के नीचे की कच्ची चट्टानें खिसक कर बस्ती को तहस-नहस कर देंगी साथ ही गांव के एकमात्र प्राचीन प्राकृतिक पानी के स्रोत को भी नष्ट कर देंगी। जो,केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार की जल संचय /संरक्षण पयोजना के सर्वथा विपरीत है। लोक निर्माण विभाग द्वारा राज्य एवं केंद्र सरकार की मंशा के विपरीत सड़क कटान का कार्य किये जाने पर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के परिजनों ने  सरकार से इस मोटरमार्ग का पुनःपंक्तियोजन करते हुए ‘मुन्या ढाई’ की दूसरी तरफ बन चुकी वलना-सुरईखेत मोटरमार्ग से मिलान करने की गुहार लगाई है।

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सेनानी के परिजनों का कहना है कि इस मामले में कई बार वार्ता व पत्राचार करने के बाद भी मार्ग के पुनःपंक्तियोजन के बारे में सरकार व लोक निर्माण विभाग कोई कार्यवाही नहीं कर रहा है।

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