खबर सच है संवाददाता
रुद्रपुर। महिला सुरक्षा के लिए केवल कठोर कानून ही पर्याप्त नहीं है। जब तक समाज में जागरूकता और महिलाओं के प्रति सम्मान का भाव पैदा नहीं होगा तब तक सारे कानून और नियम धरे के धरे रह जाएंगे। ऐसा ही कुछ किच्छा रेलवे स्टेशन पर देखने को मिला, जहां एक किशोरी बिना कपड़ों के मिली थी, लेकिन सरकारी विभाग के जिम्मेदारों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। उसकी मदद तक नहीं की। यह बात चाइल्ड लाइन समन्वयक शायरा बानो ने कलेक्ट्रेट में महिलाओं से जुड़े विभागों की समीक्षा बैठक में राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल और उपाध्यक्ष ज्योति साह मिश्रा के सामने रखी।
उन्होंने बताया कि 24 अप्रैल को फोन पर इसकी सूचना मिली थी। जब वह मौके पर पहुंची तो जीआरपी, पुलिस और स्वास्थ्य विभाग से जुड़े लोगों ने सहयोग नहीं किया। उन्होंने कहा कि ऐसे संवेदनशील और गंभीर मुद्दों पर इस तरह की अनदेखी नहीं होनी चाहिए। राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल ने मातृ शक्ति की शिक्षा, चिकित्सा और सुरक्षा का कार्य पूरी तत्परता से करने के निर्देश दिए। उन्होंने घरेलू हिंसा, यौन उत्पीड़न और महिलाओं पर होने वाले अत्याचारों के शिकायतों पर कार्रवाई के निर्देश पुलिस को दिए।
मुख्य विकास अधिकारी आशीष भटगाई ने कहा कि विभिन्न समस्याओं से ग्रस्त महिलाओं के साथ ही सभी आगंतुकों के साथ सरल और सौम्य व्यवहार किया जाए। साथ ही उनकी समस्याओं को गंभीरता से सुनते हुए उनका निराकरण किया जाए। अपर जिलाधिकारी ललित नारायण मिश्र ने बताया कि आयोग से महिला उत्पीड़न से संबंधित 11 शिकायतें प्राप्त हुई थीं जिसमें से 10 शिकायतों का निराकरण कर दिया गया है। बैठक में जिला कार्यक्रम अधिकारी उदय प्रताप सिंह, मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. सुनीता रतूड़ी, मुख्य शिक्षा अधिकारी आरसी आर्य, जिला समाज कल्याण अधिकारी अमन अनिरुद्ध आदि मौजूद थे।