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गंगा व यमुना की भाँति पवित्र भाव से मिलो व जीवन को प्रयागराज बनाओ – श्री हरि चैतन्य महाप्रभु
हल्द्वानी। प्रेमावतार, युगदृष्टा, श्री हरि कृपा पीठाधीश्वर एवं विश्व विख्यात संत श्री श्री 1008 स्वामी श्री हरि चैतन्य पुरी जी महाराज ने आज यहां हल्दू पोखरा नायक में चैतन्य धाम का विधिवत शिलान्यास एवं भूमि पूजन किया। इस दौरान प्रदेश के अनेकों शहरों से बड़ी संख्या में पहुंचे श्रद्धालुओं के साथ पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, सांसद व पूर्व केंद्रीय मंत्री अजय भट्ट, कालाढूंगी विधायक व पूर्व कैबिनेट मंत्री बंशीधर भगत, हल्द्वानी विधायक सुमित हृदयेश, प्रदेश युवा भाजपा अध्यक्ष शशांक सिंह रावत, कांग्रेस नेता हेमवती नंदन दुर्गापाल, कांग्रेस महापौर प्रत्याशी ललित जोशी, कांग्रेसी नेता हरीश मेहता, खजान पाण्डे सहित पक्ष-विपक्ष के प्रमुख राजनेता व प्रशानिक अधिकारी भी एक मंच पर एकजुट नजर आये।
इस दौरान महाराज श्री ने उपस्थित भक्त समुदाय को सम्बोधित करते हुए कहा कि परिवार,नगर, राष्ट्र व समाज में सब आपस में मिलकर एक हो जाएं संसार एक मेला है तथा मेले का अर्थ है मिलाप। मेले में जाकर तो आनंद आता है लेकिन यदि मेलों में ठीक से चलना ना आया, बोलना ना आया, व्यवहार करना ना आया तो मेला झमेला बनते भी देर नहीं लगती। संसार रूपी मेले में भी अधिकांश लोगों के जीवन में आज वो आनंद, उत्साह व उमंग दिखाई नहीं देती है। लगता है लोगों के लिए भी यह संसार रूपी मेला झमेला बन चुका हैं। विशेषतया उनके लिए जिन्हें जीने की कला नहीं आती क्योंकि जीना भी एक कला है। इस संसार मेले में हम मिले तथा मिल कर एक हो जाएं परंतु शेर व हिरन या बकरी की भाँति नही क्योंकि शेर व बकरी मिलकर एक तो होते हैं परंतु वहां हिंसा को स्थान मिलता है। गंधक व पोटाश मिलकर एक होते हैं पर वहां विस्फोट होता है। घी व शहद मिलकर एक होते है पर विष पैदा होता है। कौरव पांडव भी कितनी बार मिले परंतु कोई ना कोई झगड़ा विवाद अशांति ही पैदा हुई ऐसा मिलना जिस मिलने पर कलह, क्लेश, विवाद, अशांति, वैमनस्य, द्वेष,घृणा, हिंसा इत्यादि जन्म ले ले ऐसा मिलना अच्छा नहीं ऐसे मिलने से तो ना मिलना कहीं श्रेष्ठ है।मिलना हो तो मिलकर एक हो जाएं गंगा व यमुना की भांति। गंगा भी पवित्र तथा यमुना भी पवित्र तथा जब दो पवित्र आत्माऐ आपस में मिलकर एक होती हैं तो उनका जीवन पहले से भी कहीं अधिक पवित्र व महान हो जाता है जैसा कि गंगा व यमुना के मिलने पर तीर्थराज प्रयाग को महान गरिमामय स्थान प्राप्त होता है।
महाराज श्री ने अपने दिव्य प्रवचनों में चार प्रयागराजों का वर्णन भी किया। पहला स्थावर प्रयागराज जो इलाहाबाद मे है दूसरा सत्संग रूपी तीर्थराज जहां राम भक्ति रूपी गंगा ब्रहम का विचार व प्रचार रूपी सरस्वती विधि निषेघात्मक बोध रुपी सूर्य तनया यमुना बहती है। जिसमें स्नान का तुरंत फल दिखाई देता है तीसरा भक्त रूपी तीर्थराज प्रयाग तथा चौथा प्रभु के चरणार बिन्द रुपी प्रयागराज का विस्तार से वर्णन किया। इस दौरान तीर्थंराज में चल रहें महाकुम्भ के सफल आयोजन हेतु महाराज श्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी को बधाई एवं शुभकामनायें देते हुए कहा भारत देश, विश्व की आत्मा कहलाता है और तीर्थराज प्रयागराज भारत का प्राण कहा गया है। अरण्य और नदी संस्कृति के बीच जन्म लेकर ऋषियों, महर्षियों की तपोभूमि के रूप में पंचतत्वों को पल्लवित करने वाली प्रयागराज की धरती पर सदियों से महाकुम्भ, अर्द्धकुम्भ, माघ मेले आदि में लाखों, करोड़ों भक्तों की आस्था, देश को हमेशा उर्जा देती रही है। महाराज श्री ने कहा कि उत्तराखण्ड देवभूमि है, यहां के कण -कण में देवो का वास है और ऐसी देवभूमि में आज चैतन्य धाम की स्थापना बढ़े गर्व और शौभाग्य का विषय है।
शिलान्यास कार्यक्रम के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि हमारा शौभाग्य है कि देश के महान और विश्व विख्यात संत स्वामी हरि चैतन्य पुरी जी के सानिध्य में यहां “चैतन्य धाम” की स्थापना हो रही है और हम सभी महाराज श्री के सानिध्य में इस शुभ अवसर के साक्षी व प्रतिभागी बने है। सांसद व पूर्व कैबिनेट मंत्री अजय भट्ट ने कहा कि हम शौभाग्यशाली है कि हमें हमारे मार्ग दर्शक (गुरु) के रूप में देश के महान संत स्वामी हरि चैतन्य पुरी जी महाराज का आशीर्वाद मिला है। मै चुनाव प्रचार में ब्यस्त था लेकिन मुझे जैसे ही महाराज श्री के यहां आने की खबर मिली, मै स्वयं को रोक नहीं पाया और सीधे महाराज श्री के दर्शन को चला आया।कालाढूंगी विधायक व पूर्व कैबिनेट मंत्री बंशीधर भगत ने कहा कि महाराज श्री का सदैव की भांति हम पर आशीर्वाद बना रहें और हम उन्नत मार्ग पर चलते हुए अपने जीवन को सफल बना सकें।