हल्द्वानी। छात्रसंघ चुनाव युवाओं की लोकतांत्रिक भागीदारी का एक महत्वपूर्ण माध्यम है, जो उन्हें नेतृत्व की बारीकियों और समाज के प्रति जिम्मेदारी का एहसास कराता है। वर्तमान सरकार द्वारा छात्रसंघ चुनाव न कराने का निर्णय न केवल छात्रों की आवाज़ को दबाने का प्रयास है, बल्कि उनके लोकतांत्रिक अधिकारों का सीधा हनन भी है।
सरकार हर चुनाव से बचने का प्रयास कर रही है, चाहे वह निकाय चुनाव हो या छात्रसंघ चुनाव। ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार को अपनी नीतियों के प्रति जनविरोध का भय है। छात्रसंघ चुनाव केवल एक औपचारिकता नहीं है; यह छात्रों के विचारों, आकांक्षाओं और अधिकारों की अभिव्यक्ति का सशक्त मंच है। लोकतंत्र में युवाओं को उनके अधिकारों से वंचित करना सरकार की जनविरोधी मानसिकता को दर्शाता है।
मैं सरकार से अपील करता हूँ कि वह इस निर्णय पर पुनर्विचार करे और युवाओं को उनके अधिकारों से वंचित न करे। लोकतंत्र में युवाओं की भागीदारी सुनिश्चित करना हम सभी की जिम्मेदारी है, और इसके लिए मैं हरसंभव प्रयास करूंगा।
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