राज्य के पास अपनी कोई कारगर योजना नहीं जिससे उत्तराखंड का विकास हो सके – सुमित हृदयेश  

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हल्द्वानी। राज्य सरकार जो लोक लुभावनी योजनाएं ला रही है जैसे वर्क फोर्स डेवलपमेंट, मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना इनका कोई फॉलोअप भी होगा क्या? अधिकारी इन योजनाओं को परसू करेंगे? क्या योजनाएं जितनी खूबसूरत दिखाई पड़ रही हैं धरातल में उतरेंगी भी? यह बात पत्रकारों को संबोधित करते हुए हल्द्वानी विधायक सुमित हृदयेश ने कही। विधायक हृदयेश ने कहा कि वर्ष 2023- 24 का बजट 15 मार्च 2000 23 को विधानसभा भराड़ीसैंण में वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल द्वारा प्रस्तुत किया गया। कुल बजट जो प्रस्तुत किया गया वह 76 हजार 592 करोड़ 54 लाख का रहा। पिछले साल की अपेक्षा इस बजट में 18.5 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई। प्रदेश के अंदर 8 लाख 68 हजार बेरोजगार पंजीकृत हैं। वर्ष 2022- 23 में राज्य सरकार के द्वारा 121 रोजगार मेले आयोजित किए गए जिसमें कुल 2299 लोगों को रोजगार मिला। राज्य पर कर्ज का कितना अधिक बोझ है फिलहाल राज्य को 6161 करोड़ का ब्याज देना पड़ रहा है। एक पर्यटन प्रधान प्रदेश में पर्यटन का बजट 302 करोड़ का नाकाफी है। उत्तराखंड पर्यटन विकास निगम को मात्र 63 करोड़ का बजट देना बताता है कि वर्तमान सरकार प्रदेश में पर्यटन को विकसित करने की कितनी इच्छुक है।

उन्होंने कहा पलायन आयोग की रिपोर्ट कहती है की उत्तराखंड में 6000 गांव ऐसे हैं जो कि सड़क विहीन हैं यानी 6000 से अधिक गांव में तक सड़क नहीं है वहीं दूसरी ओर पलायन आयोग की रिपोर्ट में यह भी दर्ज है कि 230 लोग हर 24 घंटे में पर्वतीय अंचलों से मैदानी इलाकों में पलायन कर रहे हैं ऐसे में जो तमाम योजनाएं सरकार के द्वारा घोषित की गई हैं कहीं ऐसा ना हो कि जब तक वह जमीन पर उतरें तब तक पूरा उत्तराखंड ही खाली हो जाय। राज्य की कुल आमदनी 35000 करोड़ से ज्यादा की नहीं है वही बजट 77000 करोड़ के लगभग का है ऐसे में यह बजटीय घाटा कैसे पाटा जाएगा यह अपने आप में यक्ष प्रश्न है। देश में जीएसटी लागू होने के बाद से उत्तराखंड जैसे छोटे राज्यों को बहुत बड़ा नुकसान झेलना पड़ रहा है। वसूली टारगेट के अनुसार नहीं हो पा रही है और इसीलिए राजकीय कोष यानी खजाना खाली है। उद्यान विभाग में स्वरोजगार की संभावनाएं जताई गई हैं, हॉर्टिकल्चर फ्लोरीकल्चर इत्यादि में 813 करोड़ का बजट तो रखा गया है परंतु यदि प्रदेश के युवाओं को ट्रेनिंग नहीं दी जाएगी तो कैसे स्वरोजगार के रास्ते खुलेंगे पता नहीं। 

उन्होंने कहा कि  उत्तराखंड का सेब देश विदेश में जिसकी बहुत डिमांड है उस एप्पल मिशन को नाम मात्र का बजट देना और पॉलीहाउस को 200 करोड़ का बजट देना सरकार की अदूरदर्शिता का ही परिणाम है। उद्योग विभाग को 461 करोड का जो बजट मिला है उसके सापेक्ष यह चिंतन करने की जरूरत है कि उद्योग लगने के बाद प्रदेश के युवा कितना लाभान्वित हुए? उनको रोजगार कितना मिला? जो उद्योग यहां इन्वेस्ट कर रहे हैं उनको प्रदेश सरकार की ओर से क्या सुविधाएं दी जा रही हैं और बदले में वह प्रदेश के युवाओं को कितना रोजगार दे रहे हैं यह मायने रखता है? यदि इन उद्योगों से प्रदेश के युवाओं को रोजगार मिल रहा होता तो प्रदेश का युवा आज सड़कों पर ना होता। पर्यटन विभाग को 302 करोड़ अलॉट किया गया है सबसे पहला प्रश्न तो यह उठता है कि जितना पैसा का प्रावधान किया गया है उतना धरातल पर खर्च भी होगा क्या? मूलभूत संरचना के लिए रू0 60 करोड़ का प्रावधान रखा गया है ये किस आधार पर हुआ ? क्या कोई सर्वे हुआ जिसके आधार पर रू0 60 करोड़ अलॉट कर दिया गया। प्रदेश भर की सड़क के गड्ढे क्या 60 करोड़ में भर जाएंगे? शिक्षा को 10459 करोड़ दी गई है परंतु सबसे बड़ा सवाल यह उठता है शिक्षा विभाग को प्रदेश की आमदनी का सबसे बड़ा हिस्सा दिए जाने के बावजूद दुखद पहलू यह है कि प्रदेश में लगातार पलायन हो रहा है। अच्छी यूनिवर्सिटी अच्छे इंस्टिट्यूट के अभाव में पर्वतीय अंचलों से लोग देहरादून आ रहे हैं और देहरादून से भी दिल्ली या मुंबई के लिए पलायन कर जा रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग की महत्वाकांक्षी योजनाएं जैसे नेशनल हेल्थ मिशन एनएचएम हर वर्ष बजट का 60% भी खर्च नहीं कर पाते, वर्ष 2022-23 में भी यही देखने को मिला जोकि अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। राज्य सरकार को अपनी आमदनी की कैपेसिटी को बढ़ाना होगा यदि ऐसा नहीं हुआ तो राज्य पर कर्ज बढ़ेगा और उत्तराखंड कमजोर होगा। कुल मिलाकर इस बजट से इतना ही पता चलता है कि राज्य सरकार ने राजस्व वृद्धि की दिशा में कोई कारगर कदम नहीं उठाया है। उत्तराखंड राज्य खनन और आबकारी से हो रही आमदनी पर ही निर्भर है। चार धाम यात्रा जो कि उत्तराखंड की यूएसपी है उसमे सुविधाएं बढ़ाने के लिए मात्र 10 करोड़ के प्रावधान का क्या औचित्य है? केंद्र पोषित योजनाओं के सहारे राज्य चल रहा है यदि उनको हटा दिया जाए तो राज्य के पास अपनी कोई कारगर योजना नहीं है जिससे उत्तराखंड का विकास हो सके। जल जीवन मिशन, दीनदयाल उपाध्याय आवास योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना, पीएमजीएसवाई इत्यादि के सहारे राज्य को बैलगाड़ी पर विकास के रास्ते पर चलने की कोशिश की जा रही है। कुल मिलाकर यह बजट आंकड़ों के मकड़जाल के अलावा और कुछ नहीं है। इस बजट में महिलाओं के लिए ना ही युवाओं के लिए न ही प्रदेश के किसान मजदूर और व्यापारियों के लिए कुछ भी हितकर है।

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TAGS: Haldwani news The state does not have any effective plan of its own to develop Uttarakhand - Sumit Hridayesh Uttrakhand news

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