डॉ आशुतोष पंत
आयुर्वेद चिकित्सक/ पर्यावरण कार्यकर्ता,
5 जून को हर वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस मनाने की परंपरा है। पर्यावरण के प्रति समर्पण बहुत जरूरी भी है , पर हमें ध्यान रखना होगा कि यह केवल रस्म अदायगी ना रह जाय। पर्यावरण को बचाने के लिये पौधे लगाना जरूरी है पर पौधे लगाते समय यह संकल्प भी लेना होगा, कि चाहे हम एक ही पौधा लगाएं पर उसके बड़ा होने तक बच्चे की तरह उसकी देखभाल भी करें।
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उत्तर भारत में ढंग से बारिश 15-20 जून के बाद ही होती है तभी हमें पौधे लगाने चाहिये। 5 जून हमारे क्षेत्र के हिसाब से पौधे लगाने के लिये थोड़ा जल्दी है। हमें थोड़े दिन और इंतजार करना चाहिये। 5 जून को लाखों पौधे लगाए जाते हैं पर बहुत कम बच पाते हैं क्योंकि लोगों का ध्यान फ़ोटो खिंचवाने में ज्यादा होता है। पौधे लगाकर लोग उन्हें भूल जाते हैं जबकि नए पौधों को शुरुआत में पानी की बहुत जरूरत होती है। जुलाई अगस्त सितंबर में जब खूब बारिश होती है तब आप जो पौधे लगाते हैं उन्हें प्रकृति खुद पाल देती है।
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5 जून को और भी बहुत सी गतिविधियों से हम पर्यावरण संरक्षण के कार्य कर सकते हैं जैसे पॉलीथीन का प्रयोग रोकना, बच्चों में जागरूकता लाना, वर्षा जल संग्रहण के प्रयास करना।
मैं इस बात से बहुत व्यथित हूं कि कुछ लापरवाह लोग सड़कों के किनारे जहां तहां कूड़ा, पॉलीथीन बैग, अजैविक और नष्ट ना होने वाला कूड़ा डालकर इस धरती की सुंदरता खत्म कर रहे हैं। यह दुख की बात है कि इन लोगों ने जंगलों को भी नहीं बख्शा है। ऐसी गतिविधियों पर रोक लगनी चाहिये।
आइए हम सब मिलकर अपने क्षेत्र को, अपने देश को , पूरी पृथ्वी को सुंदर और आने वाली कई सदियों तक रहने लायक बनाएं तभी पर्यावरण दिवस मनाने की सार्थकता है।
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