बिजनौर। आज दिनभर के अत्यधिक व्यस्त कार्यक्रमों में परम पूज्य श्री महाराज जी का करनपुर, जसपुर, कासमपुरगढी अफ़ज़लगढ, शेरकोट व धामपुर पधारने पर स्थान-स्थान पर बड़ी संख्या में भक्तों ने भव्य स्वागत किया।
इस दौरान महाराज श्री ने उपस्थित समुदाय एवं विद्यालय के बच्चों को मार्गदर्शन करते हुए कहा कि हमें समाज को बदलने के लिए लोगों की दृष्टि बदलने की आवश्यकता है। किसी को सुधारने से पहले स्वयं को सुधारना चाहिए। यह सब बातें अध्यात्म के ज्ञान के बिना संभव नहीं है। जो व्यक्ति विपत्तियों,बाधाओं व परेशानियों से लड़ने की क्षमता रखता है वही जीवन के विकास का सच्चा आनंद प्राप्त कर सकता है। यदि संतता के मार्ग पर चलना चाहे तो अपने अंदर क्षमा, करुणा, उदारता, कृपा आदि सद्गुणों को अपनाएं। संत तो संतता के गुणों से है ना कि बाहरी वेशभूषा, दिखावा इत्यादि से। साधु, भक्त या महात्मा बनकर जो लोगों को धोखा देते हैं वे स्वयं को धोखा देते हैं व अपना जीवन पापमय बनाते हैं। दूसरों का अहित चाहने वाले या करने वाले का कभी हित नहीं होता। पतन या पाप का कारण प्रारब्ध नहीं है बल्कि विवेक का अनादर करके कामना के वश में होने पर मनुष्य पापाचरण करता है तभी उसका पतन होता है। किसी भी स्थिति अवस्था, प्राणी, पदार्थ, वस्तु आदि से जो सुख की कामना रखता है वह कभी सुखी नहीं हो सकता। वह सदैव निराश ही रहेगा व दुखी रहेगा। कल प्रातः 10 बजे से 12 बजे नहटौर व आसपास व सांय 5 बजे से धामपुर पधारेंगे।
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