कन्या भ्रूण हत्या मानवता के लिए क़लंक – श्री हरि चैतन्य महाप्रभु 

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रामनगर। प्रेमावतार, युगदृष्टा, श्री हरि कृपा पीठाधीश्वर व विश्व विख्यात संत श्री श्री 1008 स्वामी श्री हरि चैतन्य पुरी जी महाराज ने आज यहाँ श्री हरि कृपा आश्रम में उपस्थित विशाल भक्त समुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि जिस राष्ट्र में वर्ष में दो बार नवरात्रि के अवसर पर व विभिन्न अवसरों पर कन्या पूजन किया जाता हो। कन्याभ्रूण हत्या एक निन्दनीय एवं जघन्य अपराध है। मानवीयता, धार्मिकता, एवं सामाजिक दृष्टिकोण से कन्याभ्रूण हत्या सर्वथा अनुचित है व मानवता के लिए कलंक है। घटता हुआ लिंग अनुपात भविष्य के लिए अच्छा संकेत नहीं है। उन्होंने कहा कि आज की कन्यायें  किस क्षेत्र में आगे नहीं बढ़ रही है ? स्त्री जाति के बिना मानव जाति का अस्तित्व भी असंभव है। मानव जाति के अस्तित्व को बचाना है तो हमें कन्याओं को गर्भ में ही समाप्त होने से बचाना होगा। कन्या भ्रूण हत्या के कारण भविष्य में उपजे संकट की गंभीरता को समझें, विचार करें व समय रहते सकारात्मक सार्थक प्रयास करें। 
 
उन्होंने कहा कि सभी राष्ट्रवादी संकल्प लें कि कन्याभ्रूण हत्या जैसे जघन्य व निंदनीय अपराध को जड़मूल से समाप्त करने में अपना सहयोग देंगे। कन्याओं का घटता हुआ लिंगानुपात चिंता का विषय है। अपने दिव्य प्रवचनों में उन्होंने कहा कि विश्व बंधुत्व का भाव रखती है भारतीय संस्कृति। सर्वे भवन्तु सुखिनः का भाव रखती हैं भारतीय संस्कृति। उस परमात्मा से प्रार्थना करूँगा कि वह सर्व शक्तिमान सबको सन्मति दे जिससे देश व विश्व में शांति का साम्राज्य स्थापित हो सके।आज सारे विश्वको शांति की आवश्यकता है।शांति मिलती है परन्तु दुर्भाग्यवश हम उसे स्थापित नहीं कर पाते। सुख और शांति विचारों में है संतों व गुरुओं  की शरण में हैं। यदि इंद्रियों पर नियंत्रण न हुआ तो भी हम शांति प्राप्त नहीं कर सकते। अच्छा बोलो, अच्छा सुनो, अच्छा देखो, अच्छा संग करो, अच्छा विचारो तथा कल्याणकारी संकल्प करो। यदि परमात्मा का स्मरण नहीं है तो हम कहीं भी शांति नहीं पा सकते हैं।धर्म जोड़ता है तोड़ता नहीं। अफ़सोस आज़ धर्म के नाम पर लोगों को तोड़ने व बाँटने की कोशिश की जाती है आज जो विश्व एकमत होकर समाप्त करने की कोशिश कर रहा है वह आतंकवाद को, इस्लाम को नहीं। सभी धर्म प्रेम व भाईचारे का संदेश देते हैं। उन्होंने कहा कि मैं सभी धर्मों का सम्मान करता हूँ परंतु धर्म के नाम पर आतंक व हिंसा फैलाने के प्रयास अनुचित है। मेरे सभी भाइयों को भी वास्तविकता समझनी चाहिए व इस हिंसा के तांडव को बंद करने में अपना समर्थन व सहयोग देना चाहिए। आज वर्तमान समय में देश में जो जातिवाद के नाम पर वाद विवाद फैल रहा है उसको मिटाकर आपस में प्रेम व सौहार्द का वातावरण बनाकर आपस में मिल जुलकर रहने का संदेश दिया।
 
उन्होंने कहा कि संगठन में ही शक्ति है। आप संगठित रहेंगे तो कोई ताक़त तुम्हें तोड़ने की सामर्थ्य नहीं रखेगी। अंगीठी में से सबसे बड़ा व ज़्यादा जलने वाला अंगारा भी अलग कर दो तो जल्द ही राख हो जाएगा, अंगीठी में मिलकर देर तक आग रहेगी। उन्होंने कहा कि इच्छाओं का, कामनाओं व आवश्यकताओं का कोई अंत नहीं। प्रभु मुझसे पूछें जो इच्छा हो वह वरदान माँगे लो तो मैं प्रभु से कहूँगा कि सबसे पहले मेरी माँगने की इच्छा व सभी इच्छाएँ ही समाप्त कर दो। इच्छाएँ अधिक हो तो व्यक्ति हैवान, इच्छाएँ सीमित हो तो वह इंसान तथा  समाप्त हो जाए तो व्यक्ति भगवान ही है। अपने दोष जिसे नहीं दिखते वह हैवान है। दोष दूर कर लें तो व्यक्ति इंसान तथा जिसमें कोई दोष न रहे वह तो भगवान ही है।
 
महाराज जी के दिव्य प्रवचनों को सुनने के लिए उत्तराखण्ड सहित दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा के विभिन्न भागों से भक्तजन पहुँचे। दुर्गा अष्टमी धूमधाम से मनाने के साथ ही पावन पर्व की महाराज श्री ने सभी को बधाई दी। 

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