खबर सच है संवाददाता
देहरादून।उत्तराखंड में भू-कानून के संवेदनशील मसले पर तमाम राजनीतिक दलों, स्टेक होल्डर और आम जन की राय ली जाएगी। भू-कानून में संशोधन पर विचार को गठित सुभाष कुमार समिति व्यापक स्तर पर जन सुनवाई करेगी। पड़ोसी राज्य हिमाचल में लागू कानून का भी उत्तराखंड के परिप्रेक्ष्य में अध्ययन किया जाएगा।
समिति की पहली बैठक आज (18 सितंबर) को होगी।
राज्य में मौजूदा भूमि कानून में संशोधन का मुद्दा तूल पकड़ चुका है। उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम, 1950)(संशोधन) अधिनियम में धारा-143(क) और धारा 154 (2) को जोड़े जाने का विरोध हो रहा है। भू-कानून के खिलाफ आवाज बुलंद करने वालों का कहना है कि सरकार ने पर्वतीय और मैदानी क्षेत्रों में कृषि भूमि खरीद की सीमा समाप्त कर दी गई है। लीज और पट्टे पर 30 साल तक भूमि लेने का रास्ता खोला गया है। इससे कृषि भूमि पर संकट खड़ा हो चुका है।
इंटरनेट मीडिया समेत विभिन्न मंचों पर भू-कानून के खिलाफ चल रही मुहिम को देखते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस मामले में पूर्व मुख्य सचिव सुभाष कुमार की अध्यक्षता में समिति गठित की है। समिति इस संबंध में अपनी रिपोर्ट तैयार करने से पहले सभी संबंधित पक्षों को सुनेगी। भू-कानून का विरोध कर रहे राजनीतिक दलों, स्वैच्छिक संस्थाओं और बुद्धिजीवियों की आपत्ति को भी सुना जाएगा।
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समिति के अध्यक्ष सुभाष कुमार ने बताया कि सार्वजनिक सूचना के माध्यम से जन सुनवाई की जाएगी। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड में हिमाचल की तर्ज पर भू-कानून लागू करने की पैरोकारी की जा रही है। समिति ने हिमाचल के मौजूदा भू-कानून के बारे में जानकारी एकत्र की है। इसका अध्ययन किया जा रहा है। सभी पहलुओं पर मंथन के बाद समिति अपनी रिपोर्ट तैयार करेगी।
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