न्याय प्रणाली को सुगम और सरल बनाने हेतु गृह मंत्री ने शुक्रवार को लोकसभा में पेश किए ब्रिटिश कालीन भारतीय दंड संहिता और दंड प्रक्रिया संहिता की जगह दो नये विधेयक  

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खबर सच है संवाददाता

नई दिल्ली। गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को लोकसभा में ब्रिटिश कालीन भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की जगह लेने के लिए दो नये विधेयक पेश किये। उन्होंने भारतीय साक्ष्य अधिनियम में संशोधन के लिए एक विधेयक भी पेश किया। शाह ने सदन में भारतीय न्याय संहिता, 2023; भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक, 2023 को पेश करते हुए कहा कि देश में गुलामी की सभी निशानियों को समाप्त करने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार के प्रण के अनुरूप इन विधेयकों को लाया गया है जो जनता के लिए न्याय प्रणाली को सुगम और सरल बनाएंगे।

सदन ने गृह मंत्री के प्रस्ताव पर तीनों विधेयकों को संसदीय स्थायी समिति को भेज दिया ताकि इन पर व्यापक विचार-विमर्श हो सके। शाह ने कहा कि आगामी 15 अगस्त को आजादी का अमृत महोत्सव समाप्त होगा और 16 अगस्त से आजादी की 100 वर्ष की यात्रा की शुरुआत के साथ अमृत काल का आरंभ होगा।उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गत वर्ष 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से अपने उद्बोधन में देश के सामने पांच प्रण रखे थे जिनमें एक प्रण था कि ‘‘हम गुलामी की सभी निशानियों को समाप्त कर देंगे।’’ शाह ने कहा, ‘‘आज मैं जो तीन विधेयक एक साथ लेकर आया हूं, वो तीनों विधेयक मोदी जी ने जो पांच प्रण लिए हैं, उनमें से एक प्रण का अनुपालन करने वाले हैं। दंड विधान प्रक्रिया के लिए मूलभूत कानून इन तीन विधेयकों में शामिल हैं। उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2019 में ही हम सबका मार्गदर्शन किया था कि अंग्रेजों के बनाए हुए जितने भी कानून हैं उन पर सोच-विचार और चर्चा करके उन्हें आज के समय के अनुरूप और भारतीय समाज के हित में बनाया जाना चाहिए। वहीं से ये प्रक्रिया शुरू हुई।’’ शाह ने कहा कि ये कानून अंग्रेज शासन को मजबूत करने एवं उनकी रक्षा के लिए उन्होंने बनाये थे, इनका उद्देश्य दंड देना था, न्याय देना नहीं था। गृह मंत्री ने कहा कि सरकार लंबे विचार-विमर्श और मंथन के बाद तीनों नये विधेयक लेकर आई है और इनके माध्यम से भारत के नागरिकों को संविधान में प्रदत्त सारे अधिकारों का संरक्षण किया जाएगा। उन्होंने कहा कि आईपीसी में मनुष्य की हत्या से संबंधित अपराध धारा 302 के तहत दर्ज था, जबकि शासन के अधिकारी पर हमला, खजाने की लूट जैसे अपराधों को पहले दर्ज किया गया था।

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शाह ने कहा, ‘‘हम इस सोच को बदल रहे हैं। नये कानून में सबसे पहला अध्याय महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध से संबंधित होगा और दूसरे अध्याय में मनुष्य हत्या के अपराध से जुड़े प्रावधान होंगे।’’ उन्होंने बताया कि नये कानून में ‘मॉब लिचिंग (भीड़ द्वारा पीट पीटकर हत्या)’ के लिए सात साल या आजीवन कारावास या मृत्युदंड का प्रावधान होगा। अंग्रेजों ने राजद्रोह पर कानून बनाया था लेकिन हम राजद्रोह के कानून को पूरी तरह समाप्त करने जा रहे हैं। शाह ने कहा कि भगोड़े आरोपियों की अनुपस्थिति में उन पर मुकदमा चलाने का ऐतिहासिक निर्णय भी लिया गया है। उन्होंने कहा कि कई मामलों में दाऊद इब्राहिम वांछित है, वह देश छोड़कर भाग गया, लेकिन उस पर मुकदमा नहीं चल सकता। शाह ने कहा, ‘‘ आज हमने तय किया है कि सत्र अदालत जिसे भगोड़ा घोषित करेगी, उसकी अनुपस्थिति में मुकदमा चलेगा और सजा सुनाई जाएगी।’’ विधेयकों को पेश किये जाने के दौरान कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों ने सदन से वॉकआउट किया। विधेयक पेश किये जाने पर खुशी जताते हुए बीजू जनता दल के सांसद बी महताब ने कहा, ‘‘यह अच्छी शुरुआत है और मुझे खुशी है कि मैं और मेरी पार्टी के अन्य सदस्य यहां इतिहास बनते देख रहे हैं।’’ अब सभी अदालतों को कम्प्यूटराइज्ड किया जाएगा, प्राथमिकी से लेकर निर्णय लेने तक की प्रक्रिया को डिजिटल बनाया जाएगा, अदालतों की समस्त कार्यवाही प्रौद्योगिकी के माध्यम से होगी और आरोपियों की पेशी वीडियो कॉन्फ्रेंस से होगी। उन्होंने कहा कि इन कानूनों का उद्देश्य अदालतों में दोषसिद्धि की दर को 90 प्रतिशत से ऊपर लेकर जाना है। उन्होंने यह भी कहा कि अब राजनीतिक रसूख वाले लोगों को भी किसी तरह छोड़ा नहीं जाएगा। 

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विधेयकों का उल्लेख करते हुए गृह मंत्री ने बताया कि भारतीय दंड संहिता 1860 में बनाई गयी थी, वहीं दंड प्रक्रिया संहिता 1898 में बनाई गयी। भारतीय साक्ष्य संहिता 1872 में बनी थी। उन्होंने कहा कि भारतीय दंड संहिता 1860 की जगह अब भारतीय न्याय संहिता, 2023 स्थापित होगी। दंड प्रक्रिया संहिता 1898 की जगह अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता स्थापित होगी। भारतीय साक्ष्य संहिता 1872 की जगह अब भारतीय साक्ष्य अधिनियम स्थापित किया जाएगा।

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TAGS: bjp news Home minister amit shah In order to make the judicial system easy and simple new delhi news the Home Minister introduced two new bills in the Lok Sabha on Friday to replace the British era Indian Penal Code and Code of Criminal Procedure

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