खबर सच है संवाददाता
गढीनेगी। प्रेमावतार, युगदृष्टा, श्री हरि कृपा पीठाधीश्वर एंव विश्व विख्यात संत स्वामी श्री हरि चैतन्य पुरी जी महाराज ने यहाँ श्री हरि कृपा धाम आश्रम में उपस्थित विशाल भक्त समुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि सेवा धर्म इतना सरल नहीं है जितना हमने उसे समझा है यह सबसे कठिन है परंतु असंभव नहीं है। यदि हम प्रभु स्मरण करते हुए प्रयास करें तो असंभव को भी संभव किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि मनुष्य महान है शांति का पुंज है सब कुछ कर सकता है लेकिन सोया है, भूला है, परेशान है उसके जागते ही सब कुछ जग जाएगा। संसार की हर वस्तु, पदार्थ, प्राणी नाशवान है इनका सदैव साथ नहीं रहता तथा परमात्मा का साथ कभी नहीं छूटता है ।अतः हमें जगत की यथासामर्थ्य सेवा करनी चाहिए तथा सेवा का अवसर मिलने पर स्वयं को सौभाग्यशाली समझना चाहिए व सेवा के आए उस अवसर को हाथ से न जाने देने पर स्वयं को परम सौभाग्यशाली समझना चाहिए। हमें जगत में जब भी संत, गुरु, परमात्मा, बुजुर्ग, माता-पिता व धर्म एवं संस्कृति की सेवा काअवसर मिले तो उसे प्रसन्न होकर करनी चाहिए, भार समझकर नहीं।क्योंकि भार समझकर की गई सेवा, सेवा की श्रेणी में नहीं आती है। यहमात्र सेवा का दिखावा हो सकता है सेवा नहीं।
अपने दिव्य वचनों में उन्होंने कहा कि मैं नहीं कहता सारे संसार की सेवा करें या जितनी कोई और सेवा कर रहा हो उतनी सेवा करें, परंतु यह तो अवश्य कहूंगा कि जहां कर सके, जितनी कर सके, जब कर सके, जैसे भी कर सके, जितनों व जिनकी कर सकें सेवा अवश्य करें। उन्होंने कहा कि जीता हुआ मन तथा इंद्रियां मित्र तथा अनियंत्रित मन व इंद्रियां सबसे बड़े शत्रु है। संसार को जीतने वाला महावीर नहीं बल्कि मन व इंद्रियों को जीतने वाला महावीर है। मन बाधक भी है तथा साधक भी है। इसे अपनी आध्यात्मिक उन्नति के लिए साधक बनाएं। मन के हारे हार है व मन के जीते जीत है। सुख व दुख भी मन की अनुभूति के विषय मात्र हैं। मन की अनुकूलता में सुख व प्रतिकूलता में दुख जीव अनुभव करता है।
अपने धारा प्रवाह प्रवचनों से उन्होंने सभी को मंत्रमुग्ध व भाव विभोर कर दिया। सारा वातावरण “श्री गुरू महाराज”, “कामां के कन्हैया” व लाठी वाले भैय्या की जय जयकार से गूंज उठा।
बताते चलें कि श्री महाराज जी 11 जनवरी दोपहर गदरपुर व सांय रूद्रपुर, 12 जनवरी दोपहर मलसा, लालपुर, शिमला व सांय दानपुर व 13,14 जनवरी को विराट धर्म सम्मेलन के उपलक्ष्य में किच्छा विराजेंगे। महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर श्री महाराज जी पुनः गढीनेगी पधारेंगे। इससे पूर्व लौबांज, गरूड बैजनाथ, कौसानी, चनौदा, अधूरिया, सोमेश्वर, रानीखेत, भतरौजखान, चित्रकूट रामनगर व श्री हरि कृपा धाम आश्रम गढीनेगी इत्यादि स्थानों में पधारने पर बड़ी संख्या में भक्तों ने श्री महाराज जी का भव्य स्वागत किया।