editorial

सम्पादकीय

कहीं ऐसा तो नहीं कि 11 नए नामकरण के साथ ही कांग्रेस ने बीजेपी को फिर से दे दी क्लीन स्वीप

माहौल भी था और मौका भी, लेकिन भितरघात का अवसर देकर शायद कांग्रेस ने पुनः एक बार फिर से बहुमत से पिछड़ते हुए बीजेपी को अवसर दे दिया सरकार बनाने का। लालकुआं, कालाढूंगी सहित रामनगर सीट से बगावती सुरो को तूल देने के साथ पिछले चुनाव में दो सीटों से चुनाव की हार का ग्रहण हटाने कांग्रेस […]

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सम्पादकीय

चुनाव से पूर्व डेमेज कंट्रोल के कुशल प्रबंधन पर निर्धारित होगा जीत-हार का परिणाम

जनता के लिये बेशक उचित प्रतिनिधी साबित हो या न लेकिन राजनीती की पाठशाला में जन प्रतिनिधी कहलाने के लिए बड़े से लेकर छुटभैय्ये भी बेताब रहते है। लिहाजा लम्बे समय से आकाओं की चरण पादुकाएं उठाए घूमते अथवा हां में हां मिलाते इन तथाकथितो को पार्टी द्वारा स्थान न मिल पाने पर इनका मुह […]

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सम्पादकीय

विकास के मद्देनजर मानवीय मूल्यों की उपेक्षा अनुचित।

मनोज कुमार पाण्डे (सम्पादक) “खबर सच है”       मानवीय साहसिकता और सामाजिकता का तकाजा है कि जहां भी विभाजन की नीति दिखे, वहां उसके निराकरण का प्रयत्न किया जाए। सोचें कि आखिर ये स्थिति आई क्यों? यदि सीधे-टकराने की सामर्थ्य अथवा स्थिति न हो तो कम से कम असहयोग एवं विरोध की दृष्टि से जितना […]

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सम्पादकीय

सकारात्मक सोच के साथ जनहित में हो पत्रकारिता का उद्देश्य

मनोज कुमार पाण्डे (संपादक)  “खबर सच है”  यह कहने में कतई संकोच नहीं कि वर्तमान में पत्रकारिता आधुनिक सभ्यता का एक प्रमुख ब्यवसाय बन गया है। विधायिका, कार्यपालिका व न्यायपालिका के क्रियाकलापों पर नजर रखने को बना मीडिया जो चौथे स्तम्भ के रूप में जाना जाता है, आज जहा इसके सकारात्मक प्रभाव में अभिवृद्दि हुई है […]

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सम्पादकीय

भ्रस्टाचार के खिलाफ एकजुट होने की आवश्यकता।

मनोज कुमार पाण्डे (संपादक) “खबर सच है”  भ्रस्टाचार हमारी प्रमुख और भयंकरतम समस्या हैं। भ्रस्टाचार का विषवृक्ष आम जनता के जीवन की हर सांस में विष घोल रहा हैं और दिन रात चौगुना फैल रहा हैं।क्योंकि इस विषवृक्ष को मिली हैं वह संवैधानिक भूमि जिसमें एक से अधिक सिविल कोर्ट और आरक्षण की ब्यवस्था हैं। […]

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सम्पादकीय

“कितने चेहरों से उतर गए आज मुफ़लिसी के नकाब,कल तक जो कहते रहे देंगे रोटी आज पिला रहे शराब।”

मनोज कुमार पाण्डे यह बिडम्बना ही है कि पृथक राज्य बनने के बाद भी उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश के नक्शे कदम पर ही अग्रसित रहा है। यूपी बन्द तो उत्तराखंड बन्द और यूपी में ढील तो उत्तराखंड के आलाहुजुर के भी तेवर नरम पड़ गए। ब्यापारियों के थाली बजाने, गिरफ्तारी देने यहां तक की भीख मांगने […]

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