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विराट धर्म सम्मेलन में उमड़ा भक्तों का अपार जन सैलाब उमड़ा
गढीनेगी। श्री हरि कृपा पीठाधीश्वर एवं भारत के महान सुप्रसिद्ध युवा संत श्री श्री 1008 स्वामी श्री हरि चैतन्य पुरी जी महाराज ने आज यहाँ श्री हरि कृपा धाम आश्रम में उपस्थित विशाल भक्त समुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि अपने देश की अमूल्य व महान संस्कृति को समझें व अपनाएं। पाश्चात्य सभ्यता के अंधानुकरण को त्याग कर संस्कृति के अनुसार जीवन जीए, यदि ना जी सकें तो कम से कम विकृति परिपूर्ण जीवन जीने की कोशिश ना करें। महाराज श्री ने कहा कि हमें प्यारे वतन व इसकी महान व अमूल्य संस्कृति पर गर्व है व सभी भारतवासियों को होना भी चाहिए। विश्व बंधुत्व, सर्वे भवन्तु सुखिन: व वसुधैव कुटुम्बकम का भाव रखती है हमारी भारतीय संस्कृति। जिसकी आन, बान, शान को बनाए रखने के लिए असंख्य भारत माँ के सपूतों ने अपनी क़ुर्बानियाे हमेशा से दी है, जिसका गौरव बढ़ाने व बरकरार रखने के लिए अपना सर्वस्व अर्पण कर दिया है।हमें उन क़ुर्बानियों को व्यर्थ नहीं जाने देना है तथा स्वयं भी आत्मनिरीक्षण करके जानना है कि अपनी भारत माँ को जगद्गुरु के पद पर प्रतिष्ठापित करने, इसकी आज़ादी को बरकरार रखने व शांति का साम्राज्य स्थापित करने में हमारा क्या योगदान है ? अधिकारों के लिए लोग आज जागरूक हुए हैं लेकिन हमारा कर्तव्य क्या है इसे भी पहुँचाने व पालन करे।
महाराज श्री ने कहा कि विश्व शांति के अग्रदूत हमारे देश में आज अशांति दुर्भाग्यपूर्ण व चिंता का विषय है ,समय रहते जागरूक होकर नि स्वार्थ भाव से मिल जुलकर राष्ट्र व समाजहित को सर्वोपरि रखते हुए यदि समुचित प्रयास किए जाएं तो यहाँ भी शांति होगी ही तथा एक बार फिर संपूर्ण विश्व में शांति का संदेश यही से गूंज उठेगा। उन्होंने कहा कि आज सारे विश्व को शान्ति की आवश्यकता है ! शांति मिलती है परंतु दुर्भाग्यवश हम उसे स्थापित नहीं कर पाते। सुख और शांति विचारों में है संतो व गुरूओं की शरण में है, यदि इंद्रियों पर नियंत्रण न हुआ तो भी हम शांति प्राप्त नहीं कर सकते !अच्छा बोलो ,अच्छा सुनो ,अच्छा देखो ,अच्छा संग करो, अच्छा विचारों तथा कल्याणकारी संकल्प करो ! यदि परमात्मा का स्मरण नहीं है तो हम कहीं भी शांति नहीं पा सकते! हम चाहें तो अपनी गलतियों से भी सीख सकते हैं नहीं तो साक्षात परमात्मा भी आ जाए तो हम उनसे भी कुछ नहीं सीख सकते ! यदि एक बार हम अपना दृष्टिकोण बदलकर देखें तो हम को इस सृष्टि में वो अच्छाईयाँ नज़र आएंगी जिसकी हमने कल्पना भी नहीं की है !
उन्होंने कहा कि कर्म व परिश्रम करके तो हम लोग कुछ भी प्राप्त कर सकते हैं, परंतु चिंता करके मात्र स्वास्थ्य ख़राब करने, स्वभाव ख़राब करने के अलावा और कुछ भी नहीं कर पाएंगे। अत: समस्त प्रकार की चिंताँए त्यागकर परमात्मा का चिंतन एवं अपने कर्तव्यों का पालन करें। कर्म करें लेकिन फल की आशा का परित्याग करके। कर्म,भक्ति व ज्ञान का सुन्दर समन्वय स्थापित करके जीवन को आदर्श व मर्यादित बनाये। हम स्वंय इतनी चिंता नहीं कर सकते, जितना की प्रभु का चिंतन दृढ़ विश्वास पूर्वक करने पर स्वयं परमात्मा हमारी चिंता करेंगे व ध्यान रखेंगे। संसार में सभी लोग अधिकांशत: किसी न किसी स्वार्थवश ही संबंध रखते हैं यदि उनके हित में बाधा पहुँचेगी व हमारे अंदर उन्हें देने के लिए कुछ भी शेष ना रहेगा (रूप, बल, वाणी, प्रतिष्ठा, धन इत्यादी के माध्यम से) तो प्यार समाप्त हो जाएगा। बिना किसी स्वार्थ के संबंध बनाए रखने वाले अपवाद स्वरूप कुछ ही लोग मिलेंगे। जीव मात्र से बिना किसी स्वार्थ के हित चाहने व प्रेम करने वाले तो एक मात्र संत, गुरु व परमात्मा ही हैं। अपने धाराप्रवाह प्रवचनों से उन्होंने सभी भक्तों को मंत्रमुग्ध व भाव विभोर कर दिया। सारा वातावरण भक्तिमय हो उठा व ”श्रीगुरु महाराज”, “कामां के कन्हैया” व “लाठी वाले भैया “की जय जयकार से गूंज उठा।
बताते चलें कि 9 जून से प्रारम्भ हुए इस चार दिवसीय विराट जन्मोत्सव कार्यक्रम में महाराज श्री के दिव्य प्रवचनों को सुनने के लिए जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, दिल्ली, गुजरात, महाराष्ट्र, पंजाब, चण्डीगढ़, उड़ीसा, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक व उत्तरांचल के विभिन्न भागों से लाखों की संख्या में भक्तजन, विश्व प्रसिद्ध भजन गायक पप्पू लहरी, नृत्य नटराज डान्स एकेडमी के कलाकार, प्रांतीय एवं राष्ट्रीय स्तर के अनेक प्रमुख राजनेताओं के साथ ही देश विदेश के लाखों भक्त एवं श्रद्धालुओं ने कार्यक्रम में भाग लिया। कार्यक्रम में भजन कलाकारों ने भजन प्रस्तुत किए व छोटे छोटे बच्चों ने नृत्य प्रस्तुत किए। श्री हरि प्राकट्योत्सव विश्व में 360 से भी अधिक स्थानों पर धूमधाम से श्रद्धा पूर्वक मनाया गया। सभी ने बधाई गाते हुए, नाचते हुए कार्यक्रम की शोभा बढ़ायी।
संपूर्ण कार्यक्रम का सीधा प्रसारण दिशा व अनेक चैनलों पर किया गया। शासन और प्रशासन ने भी पूरी व्यवस्था की। इससे पूर्व महाराज श्री के सान्निध्य में कल प्रारंभ हुए ‘अखण्ड मानस पाठ’ का परायण व विशाल भंडारे का आयोजन किया गया। जिसमें हज़ारों भक्तों ने प्रसाद ग्रहण कर पुण्य लाभ अर्जित किया।
महाराज जी के जन्मोत्सव के उपलक्ष में प्रधानमंत्री, महामहिम राष्ट्रपति अनेक राज्यों के मुख्यमंत्री व राज्यपालों, देश के प्रसिद्ध संतों की शुभकामनाएं व बधाई संदेश प्राप्त हो रहे हैं।