शिक्षा-आध्यात्म

शिक्षा-आध्यात्म

प्रेमपूर्ण भक्ति ही सर्वस्व – स्वामी हरि चैतन्य

आपकी कोई भी क्रिया, चेष्टा, व्यवहार या कर्म ऐसा न हो जाए जिसे देखकर कोई उंगली उठाए। आपके जीवन में वांछित परिवर्तन भी आना चाहिए। अपनी गलतियों और बुराइयों को समझें व दूर करें। किसी को दोष क्यों देते हो अपनी अनेक आंतरिक दुर्बलताएं ही विनाश का कारण बनती है। उन्होंने कहा कि प्रेम पूर्वक […]

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शिक्षा-आध्यात्म

हम “जाना” भूल जाते है – स्वामी हरि चैतन्य

देव – दुर्लभ मानव शरीर पाकर भी हम प्रेम, एकता, परोपकार, सेवा धर्म के अनुसार कार्य नहीं कर रहे है। जो आया है उसे एक दिन जाना है लेकिन मनुष्यता, अज्ञानता व सत्संग के अभाव में ‘जाना’ भूल जाता है। आत्मा तो अजर – अमर है। भक्ति मार्ग पर चलने वाला मनुष्य कभी मरता नहीं। […]

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