गढीनेगी पधारने पर स्वामी श्री हरि चैतन्य महाप्रभु का हुआ भव्य व अभूतपूर्व स्वागत।
खबर सच है संवाददाता
गढीनेगी। प्रेमावतार, युगदृष्टा, श्री हरि कृपा पीठाधीश्वर एवं विश्व विख्यात संत स्वामी श्री हरि चैतन्य पुरी जी महाराज ने आज यहां श्री हरि कृपा धाम आश्रम में उपस्थित विशाल भक्त समुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि जो आंखें विषय वासना, सांसारिक मोहमाया में फँसी है उन्हें परमात्मा नहीं दिखाई देते। जब संसार नहीं दिखता तो प्रभू दिखते हैं। सन्तों, शास्त्रों व अवतारों को मात्र अपनी कमियां छुपाने की ढाल ही ना बनाएँ। उनसे प्रेरणाएं, शिक्षाएँ व उपदेश भी ग्रहण करके अपने जीवन में उतारकर जीवन को दैवत्व परिपूर्ण बनाए। विचार शील प्राणी कभी भी किसी भी हाल में धर्म व परमात्मा का साथ कदापि भी नहीं छोड़ता। यूं भी धैर्य, धर्म, मित्र व नारी इन चारों की परीक्षा विपत्ति के समय होती है। कब कौन सी बुद्धि उजागर हो जाए कोई कुछ कह नहीं सकता, हां अच्छे संग से सुमति व बुरे संग से कुमति ही उत्पन्न होगी।
उन्होंने कहा कि बुद्धिमान व्यक्ति कुछ भी बोलने, कार्य करने, संबंध बनाने व व्यवहार करने से पूर्व विचार करता है उसे सफलता मिलती है, लेकिन मूर्ख व्यक्ति बाद में विचार करता है। उसे पश्चाताप ग्लानि व उपहास का पात्र बनना पड़ता है। अपने विवेक को सदैव जागृत रखें। माता-पिता, गुरुजनों, शास्त्र, संस्कृति के प्रति श्रद्धा व आदर भाव रखें। एक मात्रा के अंतर से विशेष लाभ से वंचित ना रहे। हम माता-पिता, संतों, गुरुओं, शास्त्रों, ग्रंथों व अवतारों को माने। विभिन्न मतों, संप्रदायों में उपासना पद्धति चाहे अलग अलग हो लेकिन उद्देश्य सभी का एक ही है। मानव पर जगत व जगतपति दोनों का अधिकार है लेकिन मानव का इन पर अधिकार मानना अज्ञानता है। दूसरों को नुकसान पहुंचाने वाले का अपना ही नुकसान होता है। यदि दूसरा हमें नुकसान पहुंचाए तो हमें बचाव की स्थिति अपनाएं, आक्रमक दृष्टि ना होने दें। क्षमाशील बनें, क्षमा तो वीरों का आभूषण है। कामनाओं से बढ़कर दूसरा कोई शत्रु नहीं। आग्रह, दुराग्रह,संग्रह, परिग्रह, निग्रह इन पांचों ग्रहों के रहते प्रभु का अनुग्रह नहीं मिलता। इन पांचों से स्वयं विचारपूर्वक मुक्त हो सकते हैं, अन्य साधनों से नहीं। दूसरों के कर्तव्य पालन की चिंता ना कर के अपने कर्तव्य का पालन करें। दूसरों के बारे में सोचना ही है तो सर्वहितकारी चिंतन करें कि किसी के जीवन में अशांति वेदना दुख ना रहे।
इससे पूर्व यहाँ पहुँचने पर श्री महाराज जी का पूर्ण धार्मिक रीति से पुष्प वृष्टि करते हुए, फूल मालाएँ पहनाकर, आरती उतारकर हरि भक्तों ने भव्य व अभूतपूर्व स्वागत किया। 12 जून को परम पूज्य श्री महाराज जी का पावन प्राकट्योत्सव जन्मोत्सव हमेशा की भाँति भारत सहित सम्पूर्ण विश्व के 360 से भी अधिक स्थानों पर मनाया जाएगा। लेकिन श्री महाराज जी के पावन सानिध्य में 9-12 जून श्री हरि कृपा धाम आश्रम गढीनेगी काशीपुर उत्तराखंड में विराट धर्म सम्मेलन का आयोजन होगा।
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