अज्ञान के अंधेरों से ज्ञान के उजालों की ओर बढ़ने का संदेश देता है यह दिवाली पर्व- श्री हरि चैतन्य महाप्रभु  

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दिवाली पर चाइनीज़ चीजों का करें बहिष्कार

भरतपुर। दीपावली पर्व के अवसर पर श्री हरि कृपा आश्रम कामां भरतपुर, राजस्थान में उपस्थित विशाल भक्त समुदाय को संबोधित करते हुए श्री हरि चैतन्य पुरी जी महाराज ने कहा कि बाह्य प्रकाश के साथ साथ ज्ञान के आलोक से अपने अंतर को भी अलौकिक करने की कोशिश करें तो बच जाएंगें ठोकरों से। बाह्य जगत में सूर्य चंद्रादि प्रकाश करते हैं लेकिन अंतर जीवन में संतवाणी प्रकाश करती है। दीपावली के अवसर पर घर की सफाई के साथ-साथ विकारों, विकृतियों, बुराइयों को दूर करके घट की सफाई करें तो सुख शांति के अधिकारी बनेंगे। 

महाराज श्री ने कहा कि कुमति को त्याग कर सुमति के पथ का अनुसरण करें। जहां सुमति होती है वहां सुख संपत्ति आती है, जहां कुमति होती है वहां विपत्तियां मंडराने लगती हैं। जब मित्र शत्रु तथा शत्रु मित्रवत लगने लगे तो समझो कुमति उजागर हो रही है। जो हमारे विनाश का कारण बनेगी। सद्गुरु से प्राप्त प्रभु नाम जप कर व कल्याणमय मार्ग पर चलने से व्यक्ति अवश्य ही भवसागर से पार उतर सकता है। दृढ़ विश्वास पूर्वक परमात्मा का नाम, जप भव रोगों की अचूक औषधि है। दीपावली में मात्र लक्ष्मी की पूजा ही नहीं साथ ही बुद्धि व विद्या के विधाता गणेश की तथा लक्ष्मी पति नारायण श्री हरि की भी उपासना करें। परमात्मा से विमुख होकर भी धन, ऐश्वर्या, पद, प्रतिष्ठा आदि प्राप्त कर सकते हैं परंतु वह हमारे सुख का नहीं दुख का कारण बनेंगे। विषय सुख प्रारंभ में अमृतुल्य चाहे लगे परंतु परिणाम में विष ही छोड़ जाते हैं। मानव शरीर पाकर प्रभु को छोड़कर मात्र विषयों में मन को लगाना हीरो को छोड़कर कांच के टुकड़े बटोरने जैसी अबोध बालक की सी क्रिया है। परमात्मा की शरण में ही सच्चा सुख व आनंद प्राप्त हो सकता है। 

उन्होंने भक्तों को संबोधित करते हुए व  समस्त देशवासियों से अपील करते हुए कहा कि दीपावली के इस पावन पर्व पर चायनीस उत्पादों का बहिष्कार करें। अपने समाज के ही भाई बहनों के द्वारा निर्मित स्वदेशी वस्तुओं को ही खरीदें। हमारी प्राथमिकता मिट्टी के दीये जलाकर दीवाली मनाने की हो, ना कि चाइनीस लाइटों व दीयों की। जिससे कि मिट्टी के बर्तन बनाने वाले हमारे समाज के कुम्हार भाइयों को रोजगार के साधन उपलब्ध हो। व वे भी दीवाली खुशीपूर्वक मनाते हुए अपने परिवार का ठीक से पालन पोषण कर सकें। देश की संस्कृति के अनुरूप पर्व भी मनाया जाएगा व हमारे पवित्र राष्ट्र की ओर बुरी नजर रखने वाले चीन पर हम आर्थिक नुकसान का प्रहार भी कर सकते हैं। बाजार में चाइनीस वस्तुओं की भरमार है। दिखने में आकर्षक लगने वाली मूल्य में सस्ती होने के कारण लोग इन्हें खरीदने के लिए आकर्षित हो जाते हैं। स्वदेशी को बढ़ावा देने से जहां एक ओर समाज के एक वर्ग को आर्थिक लाभ होगा वहीं दूसरी ओर राष्ट्र की आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी। देश का पैसा देश में ही रहेगा। दूसरे देश में नहीं जाएगा। दीपावली के साथ-साथ आगे भविष्य में भी स्वदेशी वस्तुओं को ही खरीदने की प्राथमिकता रखें।दीवाली पर चाइनीस वस्तुओं का करें बहिष्कार। अपने दिव्य प्रवचनों से उन्होंने सभी भक्तों को मंत्रमुग्ध व भावविभोर कर दिया। दूरदराज से काफी संख्या में भक्तजन पहुंचे।

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